बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 शारीरिक शिक्षा - खेलकूद चोटें एवं कायिक चिकित्सा बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 शारीरिक शिक्षा - खेलकूद चोटें एवं कायिक चिकित्सासरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 शारीरिक शिक्षा - खेलकूद चोटें एवं कायिक चिकित्सा - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- डायथर्मी चिकित्सा से आपका क्या अभिप्राय है? डायधर्मी के प्रकार का वर्णन कीजिए।
उत्तर -
डायथर्मी चिकित्सा
डायथर्मी चिकित्सा एक ऐसी चिकित्सा पद्धति है, जिसमें संधि शोध से सम्बन्धित सभी प्रकार के उपचार के लिए जानी जाती है। डायथर्मी एक विद्युत चिकित्सा है, जिसमें विद्युत धारा प्रवाह के माध्यम से ऊष्मा उत्पन्न की जाती है। डायथर्मी चिकित्सा में एक उच्च आवृत्ति विद्युत प्रवाह शार्टवेव, माइक्रोवेव और अल्ट्रासाउंड के माध्यम से वितरित किया जाता है, जिससे शरीर ऊतकों में गर्मी पैदा की जाती है। इस गर्मी को रक्त प्रवाह को बढ़ाने और दर्द को दूर करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। डायथर्मी चिकित्सा बंद रक्त वाहिकाओं को खोलने और असामान्य कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए सर्जिकल उपकरण के रूप में उपयोग किया जाता है। डायथर्मी चिकित्सा एक उच्च विद्युतीय व चुम्बकीय धाराओं के रूप में शरीर चिकित्सा के उपयोग में लायी जाती है। इस चिकित्सा को जर्मन चिकित्सक कार्ल फ्रांज के द्वारा विकसित किया गया था। सन् 1907 में, जिसका शाब्दिक अर्थ ग्रीक में डाय और थर्मी दो शब्दों से मिलकर बना है। डायथर्मी का अर्थ है 'के द्वारा गर्मी'। डायथर्मी चिकित्सा सामान्यतया मांसपेशी को शिथिलता या ढिलाई देने के लिए चुम्बकीय विद्युत धारा ऊतक में हीटिंग (गर्मी) को बढ़ाते हुए शरीर की गहरी चोटों से उबारा जाता है। इसके द्वारा शरीर की सम्बन्धित कोशिकाओं और ऊतकों को चोट से उबारा जाता है। इस चिकित्सा को भौतिक चिकित्सा और व्यावसायिक चिकित्सा में प्रयोग किया जाता है। इसका उपयोग शल्य चिकित्सा में डायथर्मी के द्वारा सूजन को कम करने और संक्रमित ऊतकों को नष्ट करने और अत्यधिक रक्तस्राव को रोकने के लिए उपयोग में लाया जाता है। इस तकनीक को न्यूरोसर्जरी के द्वारा आँखों की सर्जरी में भी विशेष रूप से उपयोग किया जाता है।
डायथर्मी के प्रकार - डायथर्मी के तीन प्रकार हैं, जो शारीरिक व्यावसायिक चिकित्सक द्वारा प्रयोग में लाए गए हैं-
(i) अल्ट्रासाउंड डायथर्मी
(ii) शार्ट वेव डायथर्मी
(iii) माइक्रोवेव डायथर्मी
डायथर्मी के माध्यम से शरीर में गर्मी पैदा की जाती है, जिससे रक्त प्रवाह बढ़ता है। रक्त प्रवाह बढ़ने से चयापचय और सेलुलर झिल्ली के आयन प्रसार की दर को गति मिलती है। इस बढ़ी हुई गति के कारण जोड़ों की कठोरता को राहत मिलने के साथ-साथ मांसपेशियों को आराम मिलता है, और मांसपेशियों की ऐंठन में कमी होती है और स्नायुबंध और रेशेदार ऊतकों को अधिक आसानी से फैलने में आसानी होती है।
(i) अल्ट्रासाउंड डायथर्मी - अल्ट्रासाउंड डायथर्मी उच्च आकृति ध्वनि कंपन चिकित्सा है, जो ऊतकों के माध्यम से गर्मी में परिवर्तित होकर कार्य करती है। इस प्रकार की डायथर्मी विशेष तौर पर गर्मी को परिवर्तित करती है, जो ध्वनिक कंपन करके विभिन्न फाइबर की संवेदनशीलता को मांसपेशीय संरचनाओं में गर्मी का वितरण करने में विशेष रूप से उपयोगी होती है, जो इन ऊतकों को गर्मी मिलने के बाद अवशोषित करती है और कुछ प्रतिबिम्बित करती है। उदाहरण के लिए वसा अपेक्षाकृत बहुत कम ऊर्जा उष्मा में बदल जाती है, लेकिन मांसपेशियों में ऊतकों से उष्मा रूपान्तरण के लिए यह डायथर्मी बहुत अच्छी उच्च दर पर परिवर्तित करने में सक्षम है। चिकित्सकीय अल्ट्रासाउंड उपकरण एक उच्च आकृति वाला ध्वनि कंपन में बदल जाने से उत्पन्न होने वाला उपचारक यंत्र है। यह यंत्र जिस भाग का इलाज करता है, उस सतह पर धीरे-धीरे चलता है। अल्ट्रासाउंड थेरेपी के द्वारा जिस भाग का उपचार करना है, वहाँ पर ऊष्मा पैदा करने के लिए और उस भाग को ठीक करने के लिए सबसे प्रभावी उपचार है। परन्तु यह एक ऐसी चिकित्सा है, जिसको बिना चिकित्सक के उपयोग नहीं किया जाता है और चिकित्सक भी पूरी तरह से प्रशिक्षित और ज्ञानी होना चाहिए, जिससे कि कोई खतरा या दुर्घटना की सम्भावना न के बराबर हो।
(ii) शर्ट वेव या अल्प तरंग डायथर्मी - शार्ट वेव या अल्प तरंग डायथर्मी मशीन उपकरण का उपयोग करके दो कन्डेन्सर प्लेटों के द्वारा शरीर के अंग के दोनों तरफ रखी जाने के बाद दी जाने वाली चिकित्सा है। अल्प तरंग डायथर्मी चिकित्सा एक उच्च आकृति विद्युत धारा है, जो गहरे या अन्दर के ऊतकों को ऊष्मा देते हैं अर्थात् अल्प तरंग डायथर्मी उष्मा में एक ऐसा विकिरण है, जिससे उच्च आकृति विद्युत धारा द्वारा अधिक गहराई में स्थित ऊतकों को ऊष्मा प्रदान की जाती है। इस विधि में विद्युत धारा बिना ज्वलनशील प्रक्रिया के गहरे ऊतकों में ऊष्मा व गर्मी के रूप में परिवर्तित हो जाती है। इसकी आकृति लगभग 27.33MHz होती है। यह दो परिपथ में कार्य करती है।
(a) मशीन परिपथ - इस परिपथ में कन्डेन्सर और एक कम ओम प्रतिरोधक के विद्युत प्रेरक होते हैं तथा धारा की बड़ी आकृति होती है। कन्डेन्सर को बार-बार परिवर्तित किया जा सकता है। लेकिन धारा प्रतिरोधक पदार्थ डापोल्स की स्थिति को नहीं बदलते हैं और यह आणविक दूरी इनकी विद्युत प्रतिरोधक पदार्थ बनाती है।
(b) रोगी परिपथ - इलेक्ट्रोड और कैपिसीटर का उपयोग रोगी के ऊतकों के लिए करते हैं। इनकी क्षमता इलेक्ट्राड के साइज और इनके मध्य पदार्थ और दूरी पर निर्भर करता है। विभिन्न क्षमता वाले कन्डेन्सरों को समायोजित किया जाता है। इसलिए रोगी के परिपथ में अधिकतम शक्ति संचारित हो जाती है। शरीर कार्यकीय प्रभाव 1 मिलियन / सेकेण्ड आवेगों को 001 मिलियन / सेकेण्ड समय काल के साथ उत्पन्न किया जाता है। इसमें धारा के एकान्तर क्रम से आने वाले आवेग तंत्रिका तन्तुओं को उत्तेजित नहीं करते हैं और न ही ऊतकों में जलन पैदा करते हैं। अतः बिना किसी हानिकारक प्रभाव इसके द्वारा धारा को रोगी के ऊतकों में उच्च तीव्रता से प्रभावित या गुजारा जा सकता है।
(iii) माइक्रो वेव डायथर्मी या सूक्ष्म तरंग डायथर्मी - माइक्रो वेव डायथर्मी रेडियो तरंगों की आकृति में उच्च और तरंग दैर्ध्य में कम करके उपयोग में लायी जाती है। माइक्रो वेव में रडार के उपयोग से 300 MHz और तरंग दैर्ध्य के कम से कम मीटर की आकृति होती है। इस डायथर्मी की विधि में विद्युत चुम्बकीय वर्णक की तरंग लम्बाई वाली सूक्ष्म तरंगों को प्रयोग में लाते हैं। इन सूक्ष्म तरंगों को डैसीमीटर तरंगों के नाम से जाना जाता है। इन तरंगों की तरंग लम्बाई 12.25 सेमी. होती है तथा आकृति 2400 मेगा चक्र / सेकेण्ड (MHz) होती है। इनका सीधा उपयोग करते हैं। इन्हें मोड़ने की आवश्यकता नहीं पड़ती है, क्योंकि व्यक्ति इसके सर्किट के पास नहीं होता है। इन किरणों को ग्रहण करने वाले वृत्तीय या समकोणीय रह सकता है। यह वृत्तीय तरीके से स्थिति है, तो इनके प्रभाव की मात्रा एक तरफ होगी और यदि समकोणीय है तो केन्द्र में इन किरणों का प्रभाव अधिक होगा। इसमें इन तरंगों से इलाज करने के लिए व्यक्ति 10 से 20 सेमी. दूर पर रहता है। यदि इलाज कराने वाला व्यक्ति उत्तल है तो किरणें अधिक गहराई तक भेदन करेंगी। वैसे, इस सूक्ष्म डायथर्मी की भेदना गहराई 3 सेमी. तक होती है। इसे उपयोग करने का समय 10 से 30 मिनट / दिन होता है और 200 वाट धारा प्रभाव किया जाता है। कुछ साहित्यों ने इसकी आवृत्ति को 2450 Mega Cycle / Second भी दर्शाया है। इस सूक्ष्म तरंग डायथर्मी में परिवर्तन प्रक्रिया द्वारा अधिक गहरे ऊतकों के उष्मा को वैद्युत चुम्बकीय विकिरण द्वारा उपयोग किया जाता है। वे ऊतक जिनमें पानी की मात्रा अधिक है। इन किरणों को अवशोषित कर लेती हैं, लेकिन हड्डियों में पानी की कमी होने से दूरी से अवशोषित करती हैं। ऊतकों को प्रभावित करने वाली गहराई मशीन की आवृत्ति पर निर्भर करती है। 900MHz से ऊतकों में अच्छा भेदन होता है। 2500MHz से केवल उष्मा उपत्वचीय ऊतकों में जा सकती है। इसके द्वारा ऊतकों से उत्पन्न उष्मा, विकिरण द्वारा अवशोषण के बाद ऊतकों में संचालित होती है। यह डायथर्मी वेस्कुलर उतकों के घाव भरने में अधिक सहायक है। मांसपेशी ऐंठन में इसे उपयोग करते हैं। यह डायथम मांसपेशी चोट के लिए अधिक प्रभावी और लाभकारी है। इसके साथ-साथ रक्त परिसंचरण को बनने में भी सहायक होती है।
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- प्रश्न- खिंचाव व मोच से आप क्या समझते हैं? इसकी विस्तृत विवेचना कीजिए।
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- प्रश्न- प्राथमिक सहायता के क्षेत्र का उल्लेख कीजिए।
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- प्रश्न- उचित आसन के क्या लाभ हैं? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- उचित आसन एवं अनुचित आसन से आप क्या समझते हैं? अनुचित आसन से हानियाँ स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- अनुचित आसन के प्रमुख कारणों का उल्लेख कीजिए।
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- प्रश्न- आसन को समझाते हुए आसनीय विकृतियों के नाम लिखिए।
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- प्रश्न- गर्दन के दर्द से आपका क्या अभिप्राय है? इसके कारण, उपचार और प्रमुख योगासन का वर्णन कीजिये।
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- प्रश्न- सामान्य मुद्रा में सुधार के उपायों का वर्णन कीजिये?
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- प्रश्न- पुनर्वास को परिभाषित करते हुए इसके उद्देश्य एवं क्षेत्र की व्याख्या कीजिए।
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- प्रश्न- DRABC से आपका क्या तात्पर्य है? इसके चरणों का वर्णन कीजिये?
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- प्रश्न- चोट पुनर्वास के लक्ष्य स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- पट्टियों के प्रकार की विस्तृत विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- टैपिंग क्या है? इसके उद्देश्य, और सिद्धान्तों का संक्षेप में वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- इलास्टिक चिकित्सीय टेप क्या है?
- प्रश्न- कायिक चिकित्सा' शब्द को परिभाषित कीजिए और इसके सहायक सिद्धान्तों को विस्तार से लिखिए।
- प्रश्न- शारीरिक शिक्षा के क्षेत्र में 'कायिक चिकित्सा' का क्या महत्त्व है?
- प्रश्न- कायिक चिकित्सा का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- कायिक चिकित्सा के महत्त्व का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्रतिरोधी व्यायाम को स्पष्ट करते हुए इसकी तकनीकी का वर्णन कीजिए।
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- प्रश्न- मालिश के प्रकार को दर्शाते हुए किन्हीं चार प्रकारों का विस्तृत वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मालिश के प्रभाव से आप क्या समझते हैं? शरीर के विभिन्न अंगों पर पड़ने वाले प्रभाव का वर्णन कीजिए।
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- प्रश्न- मालिश के संक्षिप्त इतिहास का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- रगड़ पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- मालिश के रक्त संचरण व पेशी तंत्र पर पड़ने वाले प्रभाव को लिखिए।
- प्रश्न- मालिश के सिद्धान्त पर टिप्पणी लिखिए। मालिश के सिद्धान्त क्या हैं?
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- प्रश्न- खेलों में मालिश पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- जल चिकित्सा का अर्थ एवं इसका उपयोग स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शीत चिकित्सा या क्रायोथ्रेपी से आप क्या समझते हैं? शीत चिकित्सा की उपचार तकनीक और इलाज में उपयोग एवं प्रभाव की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- थर्मोथैरेपी उपचार के परिचय और प्रदर्शन के बारे में लिखिए।
- प्रश्न- थर्मोथैरेपी पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सौना स्नान का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- ठंडा और गर्म स्नान पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- 'भंवर स्नान' चिकित्सा विधि का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- भाप स्नान से आप क्या समझते हैं? इसके लाभ का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- विद्युत चिकित्सा एवं अवरक्त चिकित्सा से आप क्या समझते हैं? इन्फ्रारेड किरणों के साथ चिकित्सा उपचार का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- डायथर्मी चिकित्सा से आपका क्या अभिप्राय है? डायधर्मी के प्रकार का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- पराबैंगनी किरणों से आप क्या समझते हैं? परागबैंगनी किरणों के द्वारा उपचार का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- विद्युत चिकित्सा पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- अल्प तरंग डायथर्मी का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- इन्फ्रारेड किरणों का लाभ स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शार्ट वेव डायथर्मी के उपयोग को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- उपचारिक व्यायाम के क्षेत्र और वर्गीकरण की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- उपचारिक व्यायाम को परिभाषित कीजिए और इसके सिद्धान्तों एवं नियमों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- मांसपेशियों के पुनर्वास और मजबूती के लिये योग आसन के साथ चिकित्सीय महत्व का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- योग में पुनर्वास क्या है? समझाइये?
- प्रश्न- उपचारिक व्यायाम के विभिन्न उद्देश्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- उपचारिक व्यायामों का प्रभाव स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- प्रतिरोधी व्यायाम से आप क्या समझते हैं? प्रतिरोधी व्यायाम की तकनीक को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मुक्त व्यायाम की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- पुनर्वास क्या है इसकी आवश्यकता किन रोगों में होती है?
- प्रश्न- योग हमारे जीवन को किस प्रकार प्रभावित करता है?
- प्रश्न- ताड़ासन का संक्षेप में वर्णन कीजिये?
- प्रश्न- कुक्कुटासन की विधि और लाभ वर्णन कीजिये।